धोखा या भूल? 125वें शहादत दिवस पर फिर ठगे गए बिरसा मुंडा के वंशज! उलिहातू की खामोशी चीख रही है

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Jharkhand / खूंटी :
धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के 125वें शहादत दिवस से ठीक एक दिन पहले, उनके पैतृक गांव उलिहातू में उम्मीदों और नाराजगी के बीच सन्नाटा पसरा रहा।
जहां एक ओर देश भर में उन्हें श्रद्धा से याद किया जा रहा है, वहीं उनके वंशज और गांववाले खुद को फिर एक बार ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।


1.25 करोड़ और 25 लाख की कार का वादा… फिर आई खामोशी

कुछ दिन पहले ग्रेंड मास्टर अभयकरण ने उलिहातू पहुंचकर ऐलान किया था कि शहादत दिवस पर भव्य कार्यक्रम के लिए ₹1.25 करोड़ दिए जाएंगे।
साथ ही, बिरसा मुंडा के वंशज सुखराम मुंडा को ₹25 लाख की कार भेंट करने की बात भी कही गई थी।

लेकिन इस घोषणा को एक शर्त से जोड़ा गया — गांव में कमेटी का गठन
ग्रामीणों को संदेह हुआ, कमेटी नहीं बनी और अब अभयकरण अपने वादे से पलट गए।


“कहा था कार देंगे, अब अता-पता नहीं” – जंगल मुंडा

“हां, अभयकरण ने कहा था कि पिताजी को कार देंगे। लेकिन अब कुछ अता-पता नहीं है। कमेटी बनी नहीं, इसलिए उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया।”


“गांव वालों को बेवकूफ बनाया गया” – विधायक प्रतिनिधि

अड़की विधायक के प्रतिनिधि मनोज मंडल ने भी साफ आरोप लगाया:

“ग्रामीणों को झूठे वादे दिखाकर गुमराह किया गया। अब हम पारंपरिक तरीके से ही शहादत दिवस मनाएंगे।”


शहादत दिवस की तैयारी शून्य, उलिहातू में सन्नाटा

CN CoreNews संवाददाता ने जब गांव का दौरा किया, तो वहां कोई मंच, कोई साज-सज्जा, कोई हलचल नहीं दिखी।
बच्चे खेल रहे थे, बुजुर्ग चबूतरे पर बैठे थे, और कई लोग अभयकरण के वीडियो को उम्मीद भरी निगाहों से बार-बार देख रहे थे।


प्रशासन ने दी श्रद्धांजलि की जानकारी

अड़की बीडीओ गणेश महतो ने बताया कि 9 जून को उपायुक्त आर. रॉनिटा गांव पहुंचेंगी और भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देंगी।


लेकिन सवाल अब भी कायम है…

  • क्या फिर एक बार बिरसा मुंडा के वंशजों को सिर्फ वादों का झुनझुना पकड़ाया गया?
  • क्या सरकारी और गैर-सरकारी दोनों स्तरों पर अनदेखी नहीं की गई?
  • क्या धरती आबा का सम्मान अब सिर्फ भाषणों और पोस्टरबाजी तक सीमित रह गया है?

उलिहातू की खामोशी इस बार बहुत कुछ कह रही है।


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