चुलईया महुआ शराब की प्लांट लगाकर राजस्व बढ़ाने पर जोर, यूरेनियम प्लांट लगाने पर भी हेमंत सरकार कर रही विचार

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स्टेट ब्यूरो, रांची।

झारखण्ड में देशी चुलउवा महुआ शराब की खपत और इसकी व्यापक उपयोगिता को देखते हुए राज्य सरकार अब महुआ शराब बनाने की फैक्ट्री लगाकर महुआ शराब बेचने की शुरुआत करेगी। इसके लिए मध निषेद और उत्पात विभाग बकायदा वृहद प्लांट लगाने पर विचार कर रहा है। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने प्रोजेक्ट भवन में शुक्रवार को बजट पूर्व गोष्ठी के दूसरे दिन बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्पात विभाग के एक्सपर्ट की ओर से विचार आए हैं। इसपर सरकार विचार करेगी।
मंत्री ने कहा कि चूंकि ‘महुआ’ का सेवन स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में किया जाता है, इसलिए गोवा की तर्ज पर विभाग विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने पर विचार कर सकता है। ताकि लोगों को अधिक परिष्कृत महुआ पेय उपलब्ध कराया जा सके। और इससे मदद भी मिलेगी। इससे राज्य सरकार को राजस्व बढ़ोत्तरी में मदद भी मिलेगी।

झारखण्ड में लग सकता है यूरेनियम प्लांट :

उन्होंने कहा कि गोष्ठी में कई एक्सपर्ट में झारखंड में जल्द कोयला की उपलब्धता समाप्त होने का अनदेशा जाहिर किया। ऐसी स्थिति में झारखण्ड सरकार सूबे में मौजूदा यूरेनियम का उपयोग बिजली उत्पादन में करने पर सहमति जताई। राज्य में यूरेनियम प्लांट लगाने पर भी सहमति बनी है।

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर झारखण्ड में हो सकता है डीजल मूल्यों में कमी :

मंत्री ने कहा कि अब तक जो विभिन्न सुझाव आए हैं उनमें यह भी शामिल है कि डीजल की कीमतों को कम किया जा सकता है। और उत्तर प्रदेश के बराबर लाया जा सकता है। जिससे मांग बढ़ेगी और राजस्व में वृद्धि होगी।

2900 मेगावाट के लिए खर्च झारखण्ड करता है 600 करोड़ खर्च :

उन्होंने कहा कि राज्य के आंतरिक संसाधनों के माध्यम से बिजली संयंत्र स्थापित करने के विकल्प पर भी चर्चा की गई क्योंकि ऊर्जा विभाग राज्य में पिक लोड मांगों को पूरा करने के लिए औसतन 600 करोड़ रुपये प्रति माह का भुगतान कर रहा है जो कि 2900 मेगावाट है।

उत्पाद शुल्क मामले में पड़ोसी राज्य छग से काफी पीछे है झारखण्ड :

मंत्री ने कहा कि अधिकारियों को उत्पाद शुल्क विभाग के तहत लक्ष्यों पर फिर से विचार करने के लिए भी कहा गया, जो वर्तमान में इस वित्तीय वर्ष के लिए 2700 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्य सालाना 8,000 रुपये कमा रहे हैं। जबकि हरियाणा उत्पाद शुल्क से सालाना 5,000 करोड़ रुपये से अधिक कमाता है, जिस पर हमें ध्यान देने की जरूरत है। बैठक में मंत्री राधा कृष्ण किशोर के अलावे खास तौर पर ऊर्जा विभाग, शिक्षा विभाग पथ निर्माण विभाग, भू राजस्व विभाग समेत अन्य विभाग के प्रधान सचिव और अन्य अधिकारी पदाधिकारी मौजूद थे।

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