वॉशिंगटन : भारत समेत दूसरे देश के लोगों को अमेरिका की नागरिकता पाने के लिए अब नए नियम के तहत गोल्डन कार्ड लेना होगा। जिसके लिए भारत से अमेरिका जानेवाले संबंधित व्यक्ति को 44 करोड़ रुपए लगेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इससे संबंधित जानकारी वाशिंगटन में संवाददाताओं को दी। उन्होंने बताया कि नए वीजा प्रोग्राम के तहत एक मिलियन गोल्डन कार्ड बेचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके लिए दस लाख कार्ड बेचे जाने का लक्ष्य है। कार्ड को पाने के लिए पांच मिलियन देने पड़ेंगे। ट्रंप ने बताया कि गोल्डन कार्ड पूर्व के वीजा EB–5 वीजा का रिप्लेसमेंट है। ज्यादा निवेश करनेवाले अमीर व्यक्ति गोल्डन कार्ड ले सकते हैं। जिसके बाद US Citizanship बन सकेंगे।
EB-5 वीजा के लिए चुकाने होते हैं 1 मिलियन डॉलर :
जानकारी के अनुसार वर्तमान में अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए EB-5 वीजा सबसे आसान विकल्प है। इसके लिए एक मिलियन डॉलर यानी कि 8.75 करोड़ रुपए चुकाने होते हैं। ट्रंप का कहना है कि गोल्ड कार्ड के जरिए अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज जल्द चुकाया जा सकता है।
रूस के अमीर भी ले सकते हैं ‘गोल्ड कार्ड’ :
ट्रंप ने गोल्ड कार्ड का ऐलान करते हुए कहा कि यह वीजा आपको ग्रीन कार्ड पाने का मौका देने जा रहा है। यह अमेरिकी नागरिक बनने का रास्ता है। इस कार्ड को खरीदकर अमीर लोग अमेरिका में आएंगे। उन्होंने बताया कि इस योजना के बारे में ज्यादा जानकारी दो हफ्ते में दे दी जाएगी। ट्रंप ने ये भी संकेत दिए कि रूस का अमीर तबका भी इस वीजा का पात्र हो सकता है।
क्या है अमेरिका का EB-5 वीजा?
आपको बता दें कि अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए फिलहाल EB-5 वीजा आसान विकल्प है। इसके लिए 1 मिलियन डॉलर यानी कि 8.75 करोड़ रुपए चुकाने होते हैं। इस वीजा को लेकर अमेरिका का स्थायी नागरिक बना जा सकता है। इससे अमेरिकी बिजनेस में निवेश करने वाले विदेशियों को “ग्रीन कार्ड” मिलता है। EB-5 वीजा की शुरुआत अमेरिका ने साल 1990 में की थीइस वीजा प्रोग्राम का मकसद विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित करना था।
क्या अंतर है EB-5 वीजा और गोल्ड कार्ड में अंतर :
जानकारी के अनुसार EB-5 वीजा के तहत अमेरिका में ऐसे व्यवसाय में 1 मिलियन डॉलर का निवेश करना होता है, जिससे करीब 10 नौकरियां पैदा हों। लेकिन अब ट्रंप के नए गोल्ड कार्ड के तहत 5 मिलियन डॉलर का निवेश करना होगा। इस वीजा को वही अमीर अप्रवासी ले पाएंगे जो अमेरिका के लिए अधिक से अधिक निवेश कर सकेंगे।