गोड्डा। झारखंड जिले का एकमात्र होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज इन दिनों भारी संकट से गुजर रहा है। स्वास्थ्य शिक्षा विभाग और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद द्वारा लगातार उठाई गई आपत्तियों के बाद कॉलेज की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे न सिर्फ कॉलेज के छात्र-छात्राओं में हड़कंप मच गया है, बल्कि स्थानीय लोगों में भी नाराज़गी है। लेकिन आखिर कौन सी वजह है जिसके कारण कॉलेज की मान्यता रद्द करने की अनुशंसा की गई है, जानें इसके पीछे की हकीकत..
कब और किसने की कॉलेज रद्द कराने की मांग : गोड्डा
होमियोपैथी कॉलेज की मान्यता रद्द करने की सिफारिश केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (Central Council of Homoeopathy) द्वारा की गई है, जिसे अब National Commission for Homoeopathy (NCH) ने जारी रखा है।
यह सिफारिश 19 जून 2025 में ही की गई थी, जब निरीक्षण टीम ने गंभीर कमियाँ उजागर की। निरीक्षण टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि इस कॉलेज में प्राचार्य और स्थायी फैकल्टी का घोर अभाव है। फिलहाल यहां शिक्षकों की अनुमोदित 42 पदों में से मात्र 8–10 अध्यापकों की नियुक्ति है।
इसी तरह कॉलेज में प्रयोगशाला, हॉस्पिटल और छात्रावास व्यवस्था में काफी त्रुटियां है।इतना ही नहीं इंटर्नशिप के दौरान आयुष मंत्रालय के दिशा निर्देशों का उल्लंघन और अनियमित वित्तीय व्यवस्था की जा रही है।
उधर सूत्रों के अनुसार गोड्डा होमियोपैथी कॉलेज में लंबे समय से बुनियादी शैक्षणिक ढांचे की भारी कमी, प्रशिक्षित फैकल्टी का अभाव, प्रयोगशाला एवं हॉस्पिटल की अनियमितताएं, और कॉलेज प्रबंधन की उदासीनता को लेकर शिकायतों के कारण ही इस कॉलेज को बंद करने की सिफारिश की गई है।
तमाम शिकायतों पर प्रदेश भाजपा झारखंड ने 19 जून 2025 को जोरदार प्रतिक्रिया दी और चेतावनी दी की यदि सुधार नहीं हुआ, तो मान्यता कभी भी रद्द की जा सकती है। कमियों को देखने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत नेशनल कमिशन फॉर होम्योपैथी (NCH) की एक निरीक्षण टीम ने कॉलेज के शैक्षणिक मानकों को अत्यंत कमजोर बताया है।
रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज की मान्यता नवीनीकरण से इनकार कर दिया गया है। साथ ही कॉलेज को नए सत्र में नामांकन पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।
छात्रों में चिंता और भविष्य को लेकर अनिश्चितता :
कॉलेज में अध्ययनरत सैकड़ों छात्र अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि वे वर्षों से यहां पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन अब जब डिग्री पूरी होने वाली है तो कॉलेज की मान्यता ही खतरे में है। छात्रों ने सरकार से मांग की है कि वे या तो कॉलेज का पुनर्गठन कर उसे पुनः मान्यता दिलवाएं या छात्रों को किसी वैकल्पिक संस्थान में समायोजित किया जाए।
प्रशासन की सफाई और कार्रवाई :
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि कॉलेज को कई बार नोटिस देकर मानकों को सुधारने के लिए समय दिया गया, लेकिन अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। फिलहाल कॉलेज से जवाब मांगा गया है और प्रक्रिया के तहत अंतिम निर्णय जल्द लिया जाएगा।
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी हलचल :
कॉलेज को बंद किए जाने की खबर से स्थानीय सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों में भी रोष है। उनका कहना है कि गोड्डा जैसे पिछड़े इलाके में यह एकमात्र आयुर्वेदिक विकल्प था, जिसे बंद करना स्थानीय छात्रों के साथ अन्याय होगा। कई नेताओं ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
तय है गोड्डा होमियोपैथी कॉलेज की मान्यता रद्द होने की प्रक्रिया ने शिक्षा व्यवस्था, छात्रों के भविष्य और स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि सरकार जल्द ठोस कदम नहीं उठाती है, तो यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण चिकित्सा शिक्षण केंद्र से वंचित हो सकता है।