Jharlhand, CN CoreNews : बिहार और झारखंड में 10,000 से अधिक अवैध (गैर-मान्यता प्राप्त) स्कूलों का संचालन हो रहा है, जो शिक्षा मंत्रालय के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
कितने स्कूल जिसमें पढ़ते हैं शिक्षक :
झारखंड में 5,879 अवैध स्कूलों में लगभग 8.38 लाख छात्र पढ़ रहे हैं, और इनमें 46,421 शिक्षक कार्यरत हैं। बिहार में 4,915 अवैध स्कूलों में लगभग 7.76 लाख छात्र नामांकित हैं, और 42,377 शिक्षक कार्यरत हैं। इन दोनों राज्यों में कुल मिलाकर 1.6 मिलियन से अधिक छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं, जो कि शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों के भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
RTE 2009 की धारा 19 का उल्लंघन :
तमाम अवैध स्कूल, शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 की धारा 19 का उल्लंघन कर रहे हैं, जो सभी स्कूलों को निर्धारित मानकों के अनुसार मान्यता प्राप्त करने के लिए तीन वर्षों का समय देता है। यदि कोई स्कूल इन मानकों को पूरा नहीं करता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है, और उसे बंद करना आवश्यक होता है।
सरकार की कार्रवाई :
केंद्र सरकार : शिक्षा मंत्रालय ने बिहार और झारखंड दोनों को निर्देश दिया है कि वे इन स्कूलों को या तो उचित प्रक्रिया के तहत मान्यता प्रदान करें या आवश्यक कार्रवाई करें। झारखंड सरकार : राज्य सरकार ने जिला-स्तरीय मान्यता समितियाँ गठित की हैं और दावा किया है कि इनमें से कई स्कूल RTE अधिनियम लागू होने से पहले शुरू हुए थे।
क्या कहता है आंकड़ा :
शिक्षा संबंधित तमाम बातों के आंकड़ों पर गौर करने पर पता चलता है कि शिक्षा मंत्रालय ने यह भी पाया है कि बिहार और झारखंड द्वारा रिपोर्ट किए गए स्कूल से बाहर बच्चों (Out-of-School Children – OoSC) के आंकड़े और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के आंकड़ों में बड़ा अंतर है। आंकड़ों के अनुसार झारखंड में PRABANDH पोर्टल पर 2023–24 के लिए 37,409 OoSC दर्ज किए गए, जबकि NSSO सर्वेक्षण 2022–23 में 6 से 14 आयु वर्ग के 1,07,639 ‘कभी नामांकित नहीं हुए’ बच्चों की रिपोर्ट करता है ।
आगे क्या :
इन अवैध स्कूलों की उपस्थिति शिक्षा की गुणवत्ता, बच्चों के अधिकारों और भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। सरकारों को चाहिए कि वे इन स्कूलों को मान्यता देने या बंद करने की प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरा करें, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।