आदिवासी सरना धर्मावलंबी सदियों से भगवान शिव की कर रहे हैं पूजा, अब विशाल मंदीर स्थापित कर वैश्विक परंपरा को किया संरक्षित

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झारखण्ड : अदिवासी सरना धर्मावलंबियों द्वारा भगवान शिव की पूजा करने की बात कोई नई नहीं है। इसी क्रम में झारखंड के खूंटी जिले के अड़की प्रखंड के कई गांवों में सदियों से आदिवासी समुदाय द्वारा पूजा आराधना किए जानेवाले शिवलिंग अब संरक्षण और सम्मान की दिशा में एक नया रूप ले चुका है।

घोर जंगल-झाड़ियों के बीच मौजूद प्राचीन शिवलिंगों को आलिशान मंदिर निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। आदिवासी सरना समुदायों द्वारा किए जानेवाले इस नेक कार्य से न सिर्फ धार्मिक आस्था बल्कि वैश्विक सांस्कृतिक धरोहरों को भी सुरक्षित किया जा रहा है।

सदियों से होती है भगवान शिव की अराधना :

अड़की क्षेत्र के डोरेया, जेनाडीह, कडरूडीह, तुलसीडीह, जरंगा, पुरनानगर, सिंदरी, नौढ़ी और हाराडीह जैसे गांवों में महादेव की आराधना आदिकाल से होती आ रही है। पहले ये पूजास्थल जंगलों में खुले में स्थित थे, लेकिन अब स्थानीय ग्रामीण अपनी मेहनत और संसाधनों से मंदिरों का निर्माण करा रहे हैं। मानकीडीह, जेनाडीह और जरंगा में मंदिर निर्माण कार्य अंतिम चरण में है, जहां जल्द ही फिनिशिंग का कार्य भी पूरा हो जाएगा।

क्या कहते हैं ग्रामीण :

ग्रामीणों का कहना है कि सावन के महीने में विशेष रूप से जेनाडीह में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जिससे यह स्थान धार्मिक पर्यटन का केंद्र भी बन सकता है।

जरंगा गांव के 90 वर्षीय ग्रामप्रधान और पूर्व मुखिया लक्ष्मण मुंडा बताते हैं कि यह परंपरा बेहद पुरानी है। उन्होंने कहा कि जब वे छोटे थे, तब उनके बुजुर्गों ने बताया था कि असूर जाति के लोगों ने इन शिवलिंगों और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण किया था।
मंडा पूजा महाशिवरात्री में होती है पूजा :
स्थानीय ग्रामीण कहते हैं कि मंडा पर्व, शिवरात्रि और टुसू पर्व के अवसर पर इन स्थलों पर विशेष पूजा होती है, जो आज भी पूरे उत्साह से मनाई जाती है।

खूंटी सांसद कालीचरण मुंडा ने टेका मत्था :


हाल ही में अड़की के दौरे पर आए खूंटी के सांसद कालीचरण मुंडा और पाण्डेया मुंडा ने जेनाडीह और मानकीडीह के निर्माणाधीन मंदिरों में पूजा अर्चना किया। उन्होंने शिवलिंग के समक्ष माथा टेककर क्षेत्र की हरियाली और खुशहाली की कामना की।


क्या कहते हैं सांसद:


सांसद कालीचरण मुंडा ने बताया कि कडरूडीह में मानकीडीह के मानकी के पुत्र और इंजीनियर नरोत्तम मानकी द्वारा मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है, जबकि जेनाडीह में गांववासी मिलकर मंदिर निर्माण में लगे हुए हैं।

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